दोस्तों आपको पता होगा कि आजकल टेक्नॉलजी का जमाना है और टेक्नॉलजी अब हमारे लिए कितना जरूरी है इस बात से आप भली-भाँति परिचित होंगे, और यह अच्छी तरह से जानते होंगे कि टेक्नॉलजी से हमारा जीवन कैसे बदलता जा रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं हमारे लिए टेक्नॉलजी जितना जरूरी है इससे होने वाले नुकसान भी उतना घातक है, "Technology ke Nuksan in Hindi"
जी हां दोस्तों मैंने आपको अपने कई आर्टिकल मे बताया है कि जिस चीज से हमें जितना फायदा होता है कहीं न कहीं हमें उस चीज से उतना नुकसान भी होता है, तो इसी के बारे में आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताएंगे कि दुनिया में बढ़ते इस टेक्नॉलजी से हम जितना आगे जा रहें है हमें उससे कहीं जायद नुकसान हो रहा है जिसका हमें कोई अंदाजा नहीं है, और बहुत सारे लोग इस बात को जानते हुए भी नजर अंदाज कर रह हैं क्यूंकी उन्हे अभी हो रहे नुकसान से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है, लेकिन आपको नहीं इस बात का अंदाज होगा कि पहले के जमाने में जो पक्षी हमारे वातावरण में होते थे आज वो क्यों गायब हो गए हैं इसका कहीं न कहीं इस टेक्नॉलजी का ही असर है, क्यूंकी हम जो स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं उससे निकलने वाली रेडीऐशन के कारण से सारे छोटे छोटे पक्षी जो खुले आसमान मे रहती थी वो आज इन मोबाईल टावर के वजह से इस दुनिया से धीरे धीरे लापता होते चले गए, भले ही इससे हमें कोई फरक नहीं पड़ा लेकिन दोस्तों ये एक सोचने वाली बात है कि हमारे फोन से निकालने वाली रेडीऐशन हमारे लिए कितना घटक है और आने वाले समय में कितना घटक हो सकता है और जैसा कि आपको पता है कि इन 4जी 5 जी के बढ़ते जनरेशन से हमारा वातावरण और कितना खतरनाक होने वाला है,
दोस्तों इसका और एक उदाहरण है कि जब इस दुनिया में कोई टेक्नॉलजी नहीं थी तो उस समय के लोकों कि आयु लगभग 100 साल थी लेकिन आज वही घटकर 40 से 50 साल हो गई है, दोस्तों क्या आप जानते हैं कि ये सिर्फ इस टेक्नॉलजी के बढ़ते रेडीऐशन से हो रहा है, और चोंक देने वाली बात ये है कि आजकल लगभग रोजाना 50 मलोगों कि मौत स्मार्टफोन के वजह से हो रहा है. "Technology ke Nuksan in Hindi"
हाँ मानते हैं कि ये सब इस चीज का हिस्सा नहीं है लेकिन इससे जुड़ी जरूर है, तो ये सब के बारे में भी हम आपको बताएंगे उससे पहले जान लेते हैं कि किस तरह से हम एक छोटा सा फायदा के लिए अपने भविष्य का कितना बड़ा नुकसान कर रहे हैं-
टेक्नॉलजी के नुकसान
टेक्नॉलजी यानि एक ऐसी तकनीक जिससे हमारा जीवन सरल बनता जा रहा है, जैसे मैंने आपको पहले ही बताया कि टेक्नॉलजी का प्रभाव तो हर जगह है लेकिन सहर में रहने वाले लोगों के जीवन मे अधिक असर होता है, क्यूंकी सहारों में टेक्नॉलजी का अधिक उपयग होता है जिस वजह से वहाँ रेडीऐशन भी जायद होती है और लोगों को खतरा भी जायदा होता है,
Technology ने मनुष्य को दिमागी स्तर पर अती संवेदनशील बना दिया है लेकिन वहीं इसके विपरीत मनुष्य कि भावुकता कम हो गई है
Technology कि वजह से शहरी जीवन घड़ी कि सुइयों पर भागने लगा है, हर आदमी घड़ी के हिसाब से चलता है, टाइम से ट्रेन चलती है, टाइम से ऑफिस शुरू होता है टाइम पर पानी आता है, आदमी समय का गुलाम बन गया है इस भागदौड़ ने मनुष्य को भवना शून्य बना दिया है। "Technology ke Nuksan in Hindi"
गाँव मे भी लोग समय के पाबंद होते हैं लेकिन वहाँ के लोगों के लिए समय मुख्यतः चार भागों मे बंटा होता है सुबह, दोपहर, शाम और रात, हालांकि शहर के अपेक्षा गाँव की व्यवस्था पर Technology ने इतना गहरा असर नहीं डाला है,
शहरों में समय पर बिल न जमा करने पर बिजली चले जाने का डर, पानी चले जाने का डर, ट्राफिक मे फँसने से समय पर गंतव्य तक न पहुँचने का भय, ऐसी और कई बातों से शहरी लोगों का ध्यान घिरा हुआ रहता है, और इन सब के बीच वहाँ के व्यक्ति खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पा रहा है, उसके पास ये तक जानने का समय नहीं है कि उसके पड़ोस मे कौन रह रहा है, टेक्नॉलजी ने मनुष्यों कि मानसिक स्तिथि को बहुत प्रभावित किया है,
टेक्नॉलजी के दुष्प्रभाव
टेक्नॉलजी के दुष्प्रभाव सहारों का ध्वनि प्रदूषण जैसे - कारखानों का, ट्राफिक मे फांसी गाड़ियों का, कई तरह के मशीनों का, घरेलू उपकरणों का, टीवी फ्रीज कूलर इत्यादि से होने वाले प्रदूषण,
शहरों के बीच मे लगे आर्टिफ़िशियल लाइट कि चकाचौंध और दिन जैसी दिन और दिन जैसा रात का माहौल... और इससे हमारी सभी ज्ञान इंद्रियों को बराबर व्यस्त रहती हैं, जो हमारे लिए बहुत ही हानिकारक है, जिसके कई दुष्प्रभाव है जो हमें दिखाई नहीं देती है लेकिन इससे भविष्य में हमें कई परेशानियों का शमन करना पड़ सकता है, और अभी हमें ना के बारबार दिखने वाली नुकसान धीरे धीरे विशाल रूप ले लेती है,
आजकल गाँव और शहर हर जगह टेक्नॉलजी का प्रभाव बहुत बढ़ गया है, आजकल के टेक्नॉलजी ने एक नई सूचना क्रांति को जन्म दिया है जिसके पीछे मोबाईल और इंटरनेट का बहुत बड़ा हात है, जिसे हम सभी बहुत ही आसानी से नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन एक दिन वही हमारे लिए सबसे बड़ा दुश्मन बन जाता है,
इंटरनेट एक जादूगर के हार से निकलते रुमाल जैसा है जिसमें एक लाल रुमाल निकलता है तो उसके अंतिम छोर से बंधा हुआ पीला रुमाल निकालने लगता है जिसके अंतिम छोर पर अगला रुमाल बंधा दिखता है, जादूगर के इस जादू का अंत तो एक समय हो जाता है लेकिन इंटरनेट के जादू का ये सम्मोहन आज के व्यक्ति के दिमाग पर 24 घाट चलते रहती है,
टेक्नॉलजी ने आजकल के मनुष्यों का पूरा समय पर कब्जा कर लिया है और ये हाल कब्ज जैसा हो गया है ना मुक्ति मिलती है और ना ही चैन आता है, हर रोज वही कहानी है हर कोई अपने दिन का शुरुवाल सोशल मीडिया में चल रहे ट्रेंड्स को फॉलो करने से होती है और व्हाट्सप्प के लास्ट सीन पर रात, लेकिन जैसे कब्ज को ठीक करने के लिए खान पान का संयम जरूरी है ठीक वैसे ही हमारे दिनचर्या में टेक्नॉलजी का भी थोड़ा बहुत संयम जरूरी है,
पहले के जमाने में साधु सन्यासी पहाड़ों में रहा करते थे ताकि सांसारिकता से दूर रह सके और मन कि गति को शांत करके कुछ बातों पर ध्यान केंद्रित कर सके, इंटरनेट, कंप्युटर ये सब बिजली से चल रहे हैं हम हम नहीं, हम थकते हैं, हमें भूख लगती है इसलिए हमें मानसिक शांति भी चाहिए।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
हम टेक्नॉलजी के मालिक हैं और टेक्नॉलजी हमारा गुलाम, लेकिन हम इन सब पे इतना अधिक निर्भर हो गए हैं कि टेक्नॉलजी हमें कंट्रोल करने लगा है,जरा सोचिए क्या होगा अगर मालिक नौकर कि गुलामी करने लगे तो ? वो उससे चिपका बैठ रहे तो ? और सिर्फ उसकी सुने तो ? पूरी व्यवस्था गड़बड़ा जाएगा, हमें टेक्नॉलजी से सिर्फ काम लेना चाहिए उससे हमन रिश्ता नहीं जोड़ना चाहिए लेकिन हम तो गुलामी कर रहे हैं, क्यूंकी हम एक जीते जागते इंसान हैं रोबोट नहीं।
हम इन सब पर इतना अभ्यस्त हो गए हैं कि इनके बिना हमें सन्नाटा सा लगता है, किताबें पढ़ना, खेल कूद करना, अपने शौक पूरे करना ये सब लोग टीवी और इंटरनेट के आने से पहले किया करते थे, हालांकि आज भी करते हैं लेकिन संख्या बहुत कम हो गई है, आजकल पढ़ना खेलना ये सब अभी लोग अपनी शारीरिक शक्ति और इक्षाशक्ति जितना करता है, मोबाईल में क्या है बस उँगलियाँ घूमाते रहो और खेलते रहो रात दिन, लोगों को नही पता लेकिन इससे हमें बहुत नुकसान होता है,
इंटरनेट ने हमें Jack of all और Master of none बना कर रख दिया है, किसी एक चीज पर हम रुकते कहाँ है बस काभी यहाँ काभी वहाँ भटकते रहते हैं।
हमारे लिए टेक्नॉलजी का सीमित उपयोग और संयम ही हमारा सही और आखरी रास्ता है, जैसे रास्ते में आदमी अपने कान में गाना सुनते हुए, इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए आता जाता रहता है, बस अपनी दुनिया में खोया हुआ किसी से कोई लेना देना नहीं, यही समय मे अपने किसी दोस्त और परिजनों से मिल कर बातें कर सकता है और अगर संभव हो तो अपने मन मे आत्म चिंतन कर सकता है, वो कोई जरूरी कामों का हिसाब कर सकता है, किसी जरूरी चीजों का लिस्ट बना सकता है,
अब आप कहेंगे कि इन सब कामों के लिए मोबाईल मे ऐप आता है, आपको शायद विश्वास नहीं होगा मैंने कई आई टी कंपनियों के सीईओ, नामी वेबसाईट के जनक अपनी जेब में एक छोटी सी डायरी और कलम रखते हैं, उनका मानना है कि मोबाईल मे ऐप कि तुलना में ये जायदा आसान है।
आजकल ध्यान, योग में लोगों कि बढ़ती दिलचस्पी का कारण है टेक्नॉलजी से खोई हुए अपनी शांति को वापस पाने कि ईक्षा, जीवन मे बढ़ता खालीपन।
जीवन में संयम ही शांति देता है, आनंद देता है, कहा गया है कि "अति सर्वथा वर्जयते" ( किसी भी वस्तु कि अति अच्छी नहीं होती ) ।
आखिर में बस इतना ही कहना चाहूँगा कि "टेक्नॉलजी कि सही इस्तेमाल सुख और गलत इस्तेमाल दुःख देती है"
सही जीवन का रहस्य है कर्मों और विचारों का बैलन्स बनाना, इसलिए टेक्नॉलजी का सही उपयोग और हमारे प्रयोगों पर नियंत्रण आवस्यक है !
यह जानकारी "Technology ke Nuksan in Hindi" आपको कैसी लगी, अगर आपको कुछ भी सीखने को मिल होगा तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें ताकि ये जानकारी प्रत्येक उस व्यक्ति तक पहुंचे जो अपने शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं, और उसे इन सभी बातों को ध्यान में रखने कि जरूरत हो।
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