इस सवाल के 5 बहुत बढ़िया जवाब हैं और सबने इसकी महत्ता समझाई है , हम सबने अधिकतर तो टाइप C चार्जर इस्तेमाल कर भी लिया होगा क्योंकि आजकल अधिकतर चार्जिंग उपकरण इसी के लिए बने होते हैं , मैंने सोचा कि क्यों न इसकी महत्ता के अलावा इसका थोड़ा सा टेक्निकल ज्ञान भी आपको दे दूं :)
टाइप C का चार्जर आजकल सबसे ज्यादा प्रचलित हो रहा है और हो भी क्यों न , इसके द्वारा " फास्ट चार्जिंग" हो रही है जिससे पहले जो मोबाइल फोन 3 से 4 घंटे में चार्ज होते थे , अब वह मात्र 30 मिनट में हो रहे हैं ! पहले जहां आपके मोबाइल का चार्जर अलग , लैपटॉप का अलग , आपके स्पीकर का अलग होता था अब टाइप C के द्वारा आप एक सिंगल केबल से सारे उपकरण चार्ज कर सकते हैं !
आखिर ऐसा क्या हुआ कि इस तरह के चार्जर बनाने की नौबत आई ? और इंजिनियर लोगों ने इसे कैसे डिजाइन किया ?
आगे बढ़ने से पहले आप एक शॉर्ट फॉर्म को समझ लें जो आपने आज के दिन ही कई बार बोला भी होगा पर शायद इतना पता नही होगा: वो शब्द है यूएसबी , अर्थात " यूनिवर्सल सीरियल बस " (USB)
ये वो टेक्नोलॉजी है जिसका काम होता है कंप्यूटर से किसी बाहरी ड्राइव को डाटा भेजना !
अगर USB C है तो यूएसबी A और B भी होगा , बिलकुल है -
USB A कंप्यूटर का वो स्लॉट है जहां पर आप अपनी पेन ड्राइव या हार्ड ड्राइव कनेक्ट करते हैं,
USB B केबल का वो दूसरा छोर है जहां पर बाहरी डिवाइस कनेक्ट होती है , ये किसी भी प्रकार की हो सकती है , पुराने एंड्रायड फोन की माइक्रो यूएसबी का छोर या फिर प्रिंटर के लिए इस्तेमाल होने वाला चौकोर छोर होता था।
यहां पर मौजूद यूएसबी 1.1/2.0 और 3.0 में आपको पीले कलर के पिन के पावर का अंतर मालूम पड़ेगा , यूएसबी 1.0 में मात्र 12/15 MBPS का डाटा भेजा जा सकता था तो वहीं यूएसबी 3.0 में 5 GBPS तक का डाटा भेजा जा सकता है , अर्थात यूएसबी A,B या C, उसका आकार तय करते हैं तो यूएसबी 1.0/2/3 उसका पावर और डाटा ट्रांसफर
अब आया लेटेस्ट में यूएसबी टाइप C जो उल्टा सीधा एक समान है यानिकि आपको इसकी पिछली जेनरेशन के यूएसबी की तरह एक खास तरीके पर ही यूएसबी नहीं खोंसनी पड़ती ,
टाईप C का पिन स्ट्रक्चर कुछ ऐसा दिखता है ये 12x2 यानिकि 24 पिन का होता है जिसमे 12 पिन ऊपर और 12 नीचे होती है
आप यदि देखेंगे तो इसका पिन की जमावट भी ऐसी है कि A2/3 एक दम B2/3 और इसी तरह A4/5/6…11 एक दम B4/5/6…11 के ठीक विपरीत दिशा में हैं ( समान रंग पर ध्यान दीजिए ) इसी कारण से इसमें उल्टा या सीधा जैसा कुछ नहीं होता आप इसे ट्रांसफर करने वाली साइड या रिसीव करने वाली साइड लगाइए और कैसे भी ऊपर या नीचे , जो पिन जिस काम के लिए बनाई गई है वो उसी हिस्से को A पिन श्रृंखला द्वारा या B पिन श्रृंखला द्वारा कर लेगी !
संक्षेप में , हर पिन का अपना एक काम है जो VLSI (वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) तकनीक से बनाया जाता है ) जो अधिकतर चिप बनाने वाली कंपनी करती है , आप हर पिन का इंडिविजुअल पढ़ाई कर के उसके बारे में जान सकते हैं, हमारे समझने के लिए बस यही कि आप इसे उल्टा या सीधा कैसे भी लगाएं , ये अपना सर्किट समझ के अपना काम ( डाटा ट्रांसफर या चार्जिंग ) कर लेगा
इसके फायदे :
1. उल्टा या सीधा , समान रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है
2. डाटा ट्रांसफर और चार्जिंग के लिए तेज स्पीड में होता है
3. किसी भी टाईप C सॉकेट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है , लैपटॉप का चार्जर फोन के लिए और फोन का स्पीकर या हेडफोन चार्जिंग के लिए
नुकसान :
1. ज्यादा करेंट फ्लो से उपकरण गरम जल्दी होते हैं
2. 1 मीटर से ऊपर की लंबाई में ये काम स्पीड देता है
3. एप्पल के कुछ प्रोडक्ट्स के साथ इसका एक स्पेशल कन्वर्टर लगता है जो एप्पल के प्रोडक्ट को टाइप C के साथ जुड़ता है, ये एक महंगा और अधिक खर्च वाला होता है,
पर एक सबसे बड़ा फायदा ये है , कभी Squid Game खेलने गए और ये टास्क आ गया , तो आप जीत जायेंगे 😁